1- बड़ी मुद्दत से चाहा है तुझे!
बड़ी दुआओं से पाया है तुझे!
तुझे भुलाने की सोचूं भी तो कैसे!
किस्मत की लकीरों से चुराया है तुझे!
2- कोशिश करो की कोई हम से न रूठे!
जिन्दगी में अपनों का साथ न छूटे!
रिश्ते कोई भी हो उसे ऐसे निभाओ!
कि उस रिश्ते की डोर ज़िन्दगी भर न छूटे!
3- मैंने जो सोचा वो कभी पाया नहीं!
चाहकर भी मैं उसको भूल पाया नहीं!
चाहता तो था मैं उसको अपनाना!
पर मैंने उसको कभी ये बताया नहीं!
4- अपनी यादों में हम तुम्हें बसाना चाहते है!
अपने पास तुम्हें हम बुलाना चाहते है!
थक गए हम तुम्हें याद करते करते!
अब हम तुम्हें याद आना चाहते है!
5- कभी-कभी ऐसा भी होता है!
प्यार का असर जरा देर से होता है!
आपको लगता है हम कुछ नहीं सोचते आपके बारे में!
पर हमारी हर बात में आपका ही जिक्र होता है
6- तन्हाई सी थी दुनिया की भीड़ में!
सोचा कोई अपना नहीं तकदीर में!
एक दिन जब दोस्ती की आप से तो यूँ लगा!
कुछ ख़ास था मेरे हाथ की लकीर में!
7- दिल से तेरी याद को जुदा तो नहीं किया!
रखा जो तुझे याद कुछ बुरा तो नहीं किया!
हम से लोग हैं नाराज़ किस लिये!
हमने कभी किसी को खफा तो नहीं किया!
8- फिर न सिमटेगी अगर दोस्ती बिखर जायेगी!
ज़िन्दगी जुल्फ नहीं जो फिर से संवर जायेगी!
जो ख़ुशी दे तुम्हें थाम लो दामन उसका!
ज़िन्दगी रो कर नहीं हंस कर गुज़र जायेगी!
9- फिजा में महकती एक शाम हो तुम!
प्यार में छलकता जाम हो तुम!
सीने में छुपाये फिरते है हम याद तुम्हारी!
मेरी ज़िन्दगी का दूसरा नाम हो तुम!
10- इकरार में शब्दों की एहमियत नहीं होती!
दिल के जज़्बात की आवाज़ नहीं होती!
आँखें बयान कर देती है दिल की दास्तान!
मोहब्बत लफ्जों की मोहताज नहीं होती!
11- हर खामोशी का मतलब इंकार नहीं होता!
हर नाकामयाबी का मतलब हार नहीं होता!
तो क्या हुआ अगर हम तुम्हें न पा सके!
सिर्फ पाने का मतलब प्यार नहीं होता!
12- क्यों किसी से इतना प्यार हो जाता है!
एक पल का इंतज़ार भी दुश्वार हो जाता है!
लगने लगते है अपने भी पराये!
और एक अजनबी पर ऐतबार हो जाता है!
13- उन्होंने जो किया ये शायद उनकी फितरत है!
अपने लिये तो प्यार एक इबादत है!
न मिले उनसे तो मरकर बता देंगे!
कि कितनी मुहब्बत है इस दिल में!
14- प्यार किया था तो प्यार का अंजाम कहाँ मालूम था!
वफ़ा के बदले मिलेगी बेवफाई कहाँ मालूम था!
सोचा था तैर के पार कर लेंगे प्यार के दरिया को!
पर बीच दरिया मिल जायेगा भंवर कहाँ मालूम था!
15- उल्फत का अक्सर यही दस्तूर होता है!
जिसे चाहो वही अपने से दूर होता है!
दिल टूटकर बिखरता है इस कदर!
जैसे कोई कांच का खिलौना चूर-चूर होता है!
16- हम रूठे तो किसके भरोसे!
कौन है जो आयेगा हमे मनाने के लिए!
हो सकता है तरस आ भी जाये आपको!
पर दिल कहाँ से लायें आपसे रूठ जाने के लिये!
17- सिर्फ चाहने से कोई बात नहीं होती!
सूरज के सामने कभी रात नहीं होती!
हम चाहते है जिन्हें जान से भी ज्यादा!
वो सामने है पर बात भी नहीं होती!
18- जिंदगी की किताब के कुछ पन्ने होते है!
कुछ अपने और कुछ बेगाने होते हैं!
प्यार से संवर जाती है जिंदगी!
बस प्यार से रिश्ते निभाने होते है !
19- इस कदर हम यार को मनाने निकले!
उसकी चाहत के हम दिवाने निकले!
जब भी उसे दिल का हाल बताना चाहा!
उसके होठों से वक़्त न होने के बहाने निकले!
20- हमारा हर लम्हा चुरा लिया आपने!
आँखों को एक चाँद दिखा दिया आपने!
हमें ज़िन्दगी तो दी किसी और ने!
पर प्यार इतना देकर जीना सिखा दिया आपने!
21- वो नदियाँ नहीं आंसू थे मेरे!
जिस पर वो कश्ती चलाते रहे!
मंजिल मिले उन्हें यह चाहत थी मेरी!
इसलिए हम आंसू बहाते रहे!
22- एक अजनबी से मुझे इतना प्यार क्यों है!
इंकार करने पर चाहत का इकरार क्यों है!
उसे पाना नहीं मेरी तकदीर में शायद!
फिर भी हर मोड़ पर उसी का इन्तज़ार क्यों है!
23- उस अजनबी का यूँ न इंतज़ार करो!
इस आशिक दिल का न ऐतबार करो!
रोज़ निकला करें किसी के याद में आंसू!
इतना न कभी किसी से प्यार करो!
24- हर आहट एहसास हमारा दिलाएगी!
हर हवा खुशबू हमारी लाएगी!
हम दोस्ती ऐसी निभाएंगे यारा!
की हम न होंगे और हमारी याद तुम्हे सताएगी!
25- दिल की आवाज़ को इज़हार कहते है!
झुकी निगाह को इकरार कहते है!
सिर्फ पाने का नाम इश्क नहीं!
कुछ खोने को भी प्यार कहते है!
26- इंतज़ार करते करते वक़्त क्यों गुजरता नहीं!
सब हैं यहाँ मगर कोई अपना नहीं!
दूर नहीं पर फिर भी वो पास नहीं!
है दिल में कहीं पर आँखों से दूर कहीं!
27- आज किसी की दुआ की कमी है!
तभी तो हमारी आँखों में नमी है!
कोई तो है जो भूल गया हमें!
पर हमारे दिल में उसकी जगह वही है!
28- हर रिश्ते को अजमाया है हमने!
कुछ पाया पर बहुत गवाया है हमने!
हर उस शख्स ने रुलाया है!
जिसे भी हमने इस दिल में बसाया है !
29- जिंदगी बन गए हो तुम मेरी!
बंदगी बन गए हो तुम मेरी!
खुदा माफ़ करे मुझे आखरी आरजू बन गए हो तुम मेरी!
30- दिल तेरी याद में आहें भरता है!
मिलने को पल पल तड़पता है!
मेरा यह सपना टूट न जाये कहीं!
बस इसी बात से दिल डरता है!
31- आँखों में तेरी डूब जाने को दिल चाहता है!
इश्क में तेरे बर्बाद होने को दिल चाहता है!
कोई संभाले मुझे, बहक रहे है मेरे कदम!
वफ़ा में तेरी मर जाने को दिल चाहता है!
32- इस कदर हम उनकी मुहब्बत में खो गए!
कि एक नज़र देखा और बस उन्हीं के हम हो गए!
आँख खुली तो अँधेरा था देखा एक सपना था!
आँख बंद की और उन्हीं सपनो में फिर सो गए!
33- भरी महफिल में तन्हा मुझे रहना सिखा दिया !
तेरे प्यार ने दुनिया को झूठा कहना सिखा दिया !
किसी दर्द या ख़ुशी का एहसास नहीं है अब तो !
सब कुछ ज़िन्दगी ने चुप -चाप सहना सिखा दिया !
34- रात की तन्हाई में उनको आवाज़ दिया करते हैं !
रात में सितारों से उनका ज़िक्र किया करते हैं !
वो आयें या न आयें हमारे ख्वाबों में !
हम तो बस उन्ही का इंतज़ार किया करते हैं !
35- किसी के दिल में बसना कुछ बुरा तो नहीं !
किसी को दिल में बसाना कोई खता तो नहीं !
गुनाह हो यह ज़माने की नज़र में तो क्या !
ज़माने वाले कोई खुदा तो नहीं !
36- दोस्ती तो सिर्फ एक इत्तेफाक है !
ये तो दिलो की मुलाक़ात है !
दोस्ती नहीं देखती की ये दिन है की रात है !
ऐसे में तो सिर्फ वफादारी और जज़्बात है !
37- ज़िन्दगी जैसे एक सज़ा सी हो गयी है !
ग़म के सागर में कुछ इस कदर खो गयी है !
तुम आ जाओ वापिस यह गुज़ारिश है मेरी !
शायद मुझे तुम्हारी आदत सी हो गयी है !
38- सदियों बाद उस अजनबी से मुलाक़ात हुई !
आँखों ही आँखों में चाहत की हर बात हुई !
जाते हुए उसने देखा मुझे चाहत भरी निगाहों से !
मेरी भी आँखों से आंसुओं की बरसात हुई !
39- हर शाम कह जाती है एक कहानी !
हर सुबह ले आती है एक नई कहानी !
रास्ते तो बदलते है हर दिन लेकिन !
मंजिल रह जाती है वही पुरानी !
40- वफ़ा के नाम से वोह अनजान थे!
किसी की बेवफाई से शायद परेशान थे!
हमने वफ़ा देनी चाही तो पता चला!
हम खुद बेवफा के नाम से बदनाम थे!
41- दर्द से हाथ न मिलाते तो और क्या करते!
गम के आंसू न बहते तो और क्या करते!
उसने मांगी थी हमसे रौशनी की दुआ!
हम खुद को न जलाते तो और क्या करते!
42- वक़्त नूर को बेनूर बना देता है!
छोटे से जख्म को नासूर बना देता है!
कौन चाहता है अपनों से दूर रहना पर वक़्त सबको मजबूर बना देता है!
43- जब तन्हाई मैं आप की याद आती हैं!
होंठो पर एक दुआ आती हैं!
खुदा आप को दे हर ख़ुशी!
क्योंकि आज भी हमारी हर ख़ुशी आपके बाद आती हैं!
44- याद आती है तो ज़रा खो जाते है!
आंसू आँखों में उतर आये तो ज़रा रो लेते है!
नींद तो नहीं आती आँखों में लेकिन!
वो ख्वाबों में आएंगे यही सोच कर सो लेते है!
45- जिंदगी हर पल कुछ खास नहीं होती!
फूलों की खुशबू पास नहीं होती!
मिलना हमारी तक़दीर में था वरना!
इतनी प्यारी दोस्ती इतफाक नहीं होती!
46- किस्मत से अपनी सबको शिकायत क्यों है?
जो नहीं मिल सकता उसी से मुहब्बत क्यों है?
कितने खायें है धोखे इन राहों में!
फिर भी दिल को उसी का इंतजार क्यों है?
47- रात हुई जब शाम के बाद!
तेरी याद आई हर बात के बाद!
हमने खामोश रहकर भी देखा!
तेरी आवाज़ आई हर सांस के बाद!
48- दिल जब टूटता है तो आवाज नहीं आती!
हर किसी को मुहब्बत रास नहीं आती!
ये तो अपने-अपने नसीब की बात है!
कोई भूलता नहीं और किसी को याद भी नहीं आती!
49- काश दिल की आवाज़ में इतना असर हो जाये!
हम आपको याद करे और आपको खबर हो जाये!
रब से बस इतनी दुआ करते हैं!
आप जो चाहे आपको मिल जाये!
50- जिंदगी शुरू होती है रिश्तों से!
रिश्ते शुरू होते है प्यार से!
प्यार शुरू होता है अपनों से!
और अपने शुरू होते है आप से!
51- साथ रहते रहते वक़्त गुज़र जाएगा!
दूर होने के बाद कौन किसे याद आएगा!
जी लो ये पल जब तक हम साथ है!
कल का क्या पता हम हो न हो!
52- कभी किसी से प्यार मत करना!
हो जाये तो इंकार मत करना!
चल सको तो चलना उस राह पर!
वरना किसी की ज़िन्दगी ख़राब मत करना!
53- शाम होते ही ये दिल उदास होता है!
टूटे ख्वाबों के सिवा कुछ न पास होता है!
तुम्हरी याद ऐसे वक़्त बहुत आती है!
जब कोई बन्दर आस-पास होता है!
54- दिल में है जो दर्द वो दर्द किसे बताएं!
हंसते हुए ये ज़ख्म किसे दिखाएँ!
कहती है ये दुनिया हमे खुश नसीब!
मगर इस नसीब की दास्ताँ किसे बताएं!
55- प्यार कमजोर दिल से किया नहीं जा सकता!
ज़हर दुश्मन से लिया नहीं जा सकता!
दिल में बसी है उल्फत जिस प्यार की!
उस के बिना जिया नहीं जा सकता!
56- शादी करनी थी पर किस्मत खुली नहीं!
ताज बनाना था पर मुमताज मिली नहीं!
एक दिन किस्मत खुली और शादी हो गई!
अब ताज बनाना है पर यह मुमताज मरती ही नहीं!
57- तुझे भूलकर भी न भूल पायेगें हम!
बस यही एक वादा निभा पायेगें हम!
मिटा देंगे खुद को भी जहाँ से लेकिन!
तेरा नाम दिल से न मिटा पायेगें हम!
58- मुहब्बत का इम्तिहान आसान नहीं!
प्यार सिर्फ पाने का नाम नहीं!
मुद्दतें बीत जाती हैं किसी के इंतज़ार में!
ये सिर्फ पल-दो-पल का काम नहीं!
59- वो दर्द ही क्या जो आँखों से बह जाए!
वो खुशी ही क्या जो होठों पर रह जाए!
कभी तो समझो मेरी खामोशी को!
वो बात ही क्या जो लफ्ज़ आसानी से कह जायें!
60- मौसम को देखो कितना हसीन है!
ठंडी हवाये और भीगी ज़मीन है!
याद आ रही है आपकी कुछ बाते!
आप भी याद कर रहे होंगे इतना यकीन है!