Tuesday, 17 January 2012

संता का हनीमून

हनीमून से लौटकर अय्याश संता बहुत परेशान थे.
बंता ने पूछा क्या हुआ मियां – सब ठीक ठाक तो है. बड़े परेशान नजर आ रहे हो.
संता – बात ही कुछ ऐसी है यार.
बंता – क्यों क्या हुआ?
संता – सुहागरात के दूजे दिन जब मैं सुबह उठा तो गलती से, आदतन मैंने 1000 रू. उसके तकिये के नीचे रखे और होटल से बाहर आ गया. सिगरेट, चाय-पानी के बाद पता चला अरे मैं तो हनीमून पर आया हूं, ये शादी के बाद मेरा पहला दिन है. मैं वापस होटल लौटा कि वो कहीं बुरा ना मान जाये कि मैं उसे छोड़ सुबह सुबह कहां चला गया.
बंता – तो क्या हुआ?
संता – होना क्या था, उसने मुझसे कुछ नहीं कहा. वो तो नहा धोकर, सज-संवरकर, नाश्ता कर रही थी.
बंता – तो अच्छा हुआ ना, उसे पता ही नहीं चला कि तुमने उसके तकिये के नीचे 1000 रू. रखे थे.
संता – यही तो परेशानी की बात है यार, उसने तकिये के नीचे से 700 रू. तो निकाल लिये और 300 मुझे लौटा दिये, बोली – मैं पैसों के मामले में बहुत ही ईमानदार हूं.

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